टिहरी जिले के जौनपुर विकासखंड के अंतर्गत सेमवाल गांव निवासी
कमलेश भट्ट 3 साल पहले 24 साल की उम्र में अपने रोजगार पाने की लिए दुबई चला गया ताकि वह अपनी गरीबी दूर कर सके जिससे अपने मां बाप की गरीबी का एहसास न हो,साथ ही मां बाप का जीवन सुख मय हो सके,लेकिन यह सपना अधूरा ही रह गया ,और 3 साल बाद 16 शाम को कमलेश भट्ट कि दुबई में मौत हो गई जिसकी सूचना कंपनी वालो ने फ़ोन से दी ,जिसके बाद परिवार पे दुःख का पहाड़ टूट गया,कमलेश भट्ट ही घर का सहारा था घर मे माता प्रमिला देवी पिता हरि प्रसाद भाई राजेश है जिनके पास रहने का एक ही कमरा है,ओर अपने गाव का सबसे गरीब परिवार है,
मां बाप इस दुख की घड़ी में अपने बच्चे के अंतिम दर्शन करने के लिए तरस रहे हैं और मृतक कमलेश के परिवार ने उत्तराखंड सरकार और भारत सरकार से एक ही मांग कर रहे हैं कि उनके बेटे कमलेश भट्ट की डेड बॉडी को दुबई से दोबारा भारत वापस लाया जाए ताकि वहां अखिलेश भट्ट के अंतिम दर्शन कर सकें और हिंदी रीति रिवाज के अनुसार उसका अंतिम संस्कार कर सकें
अखिलेश के पिता और भाई और ताऊ ने भारत सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि आज गरीबों की सुनने वाला कोई नहीं है हमने कर्ज लेकर अपने बेटे को दुबई भेजा था ताकि हमारी माली हालत ठीक हो सके ,ओर कमलेश को रोजगार भी मिल जाएगा लेकिन भगवान ने कुछ और ही दुख हमें दे दिया
साथ ही भारत सरकार के एयरपोर्ट ऑथरिटी ने कल हमारे साथ बहुत बड़ा भद्दा मजाक किया कि दुबई से सामाजिक कार्यकर्ता ने बड़ी मेहनत से मृतक कमलेश भट्ट के शव को दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट के बगल में टर्मिनल गेट नंबर 6 में कार्गो विमान से भेजा गया लेकिन एयरपोर्ट के अधिकारियों ने इनके शवो के लेने से मना कर दिया जिससे कमलेश भट्ट का शव वापस दुबई लोटा दिया
जहां पर पूरा गाव मृतक कमलेश भट्ट के शव को वापस दुबई भेजने पर एयर पोर्ट ऑथिरिटी के अधिकारियों की लापरवाही पर आक्रोश जता रहे है, ओर भारत सरकार के दूतावास पर आरोप लगा रहे है कि सरकार और दूतावास का आपस मे कोई ताल मेल नही है जिससे कमलेश भट्ट के शव की फाजियात की गई, साथ ही कह क़ि अगर किसी राजनेता या बड़े अधिकारियों का बेटा का शव होता तो क्या इस तरह से शव का मजाक उड़ाते
मृतक कमलेश भट्ट के भाई राजेश ने कहा कि 16 अप्रैल को शाम 8 बजे आखरी बार बात हुई उस समय कमलेश ने ममी पाप बहिन से बात की ओर 17 सुबह को हमे एच आर से कॉल आई की कमलेश की मौत हो गई,
वही दुबई में एक कंपनी में काम करने वाले उसके बचपन के दोस्त विजय सिंह ने बताया कि हम गांव में ही बचपन से एक साथ पढ़े हैं और यह दुबई पहले नौकरी करने चले गया था और इसी ने मुझे दुबई नौकरी पर बुलाया और तब से हम एक ही कंपनी में नौकरी करते थे और मैं बीच में घर आ गया और कमलेश भी इस महीने घर आने वाला था लेकिन कोरोना के वजह से वह घर नहीं आ पाया और वही फस गया यह एक व्यवहारिक और अच्छा लड़का था और हर समय अपने घर के बारे में बातें करता था मेरे मम्मी पापा गरीब है उनकी दुख को दूर करना है लेकिन अचानक इसकी मौत होने से हम सब सदमे में हैंमृतक कमलेश भट्ट के परिजनों के साथ साथ गाव के लोगो ने उत्तराखंड और भारत सरकार से माग की है कि कमलेश का शव दुबारा दुबई से भारत मंगा कर गाव भेजा जाए जिससे उसका अंतिम दर्शन करके अंतिम संस्कार किया जा सके,