टिहरी झील बनने से पहले प्रतापनगर में रेका पट्टी के 42 गाव के ग्रामिणो का पैतृक शमशान घाट रौलाकोट गाव के पास पालेण में था यही सब लोग शव को जलाने के लिए लाते थे,
टिहरी झील बनने के बाद शवो को जलाने में लोगो को दिक्कते आने लगी और ग्रामीणों ने शमशान घाट बनाने की मांग की गई उसके बाद जिला प्रशासन/पुर्नवास बिभाग ने कई स्थानो में शमशान घाट बनाये,उन शमशान घाटो में एक था रौलाकोट का शमशान घाट,जो पुनर्वास विभाग के अधिकारियों की लापरवाही की भेंट चढ़ गया ,ओर न ही पुनर्वास बिभाग ने रौलाकोट के शमशान घाट बनाने वाले ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्यवाही की न ही सरकारी पैसे के वसूली,इससे साफ जाहिर होता है कि पुनर्वास बिभाग के अधिकारी कर्मचारियों की ठेकेदार से मिलीभगत है,
पुनर्वास बिभाग ने रौलाकोट शमशान घाट बनाने के लिए लगभग 65 लाख स्वीकृत किये थे,जिसमे सड़क और शवदाह गृह बनना था
रौलाकोट के समीप पालेण में शमशान घाट को बनाना था और मीन सड़क से पालेण तक बननी थी लेकिन पुनर्वास बिभाग ने ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए, चांठी की तरफ इस सड़क को बनवाई,ओर हद तो तब हो गई जब इस सड़क को बनाने के लिए न तो टेंडर हुए ओर लगभग 15 लाख ठेकेदार को दे दिए,ओर मोके पर सड़क का नामोनिशान नही है,ठेकेदार द्वारा जो सड़क खानापूर्ति के लिए बनाई गई वह जगह पहले से ही लेंड स्लाइडिंग जॉन में है जहां हर साल टिहरी झील का पानी मे डूब जाती है,
आज भी 42 गाव के ग्रामीण झील के किनारे जान जोखिम में डालकर शव जलाने को मजबूर है,
पुनर्वास बिभाग पर सवाल उठा रहे है कि आखिर ऐसी क्या जल्दी थी कि उन्हें रौलाकोट के वजह दूसरी जगह यह सड़क बनानी पड़ी और फिर बनाई भी ऐसी जगह जो पहले से लेंड स्लाइडिंग जॉन में है ओर न टेंडर हुए,सबसे बड़ी बात तो यह है कि ठेकेदार को 15 लाख के करीब दे दिए,ओर जब सड़क बनी नही तो फिर ठेकेदार को किस बात की 15 लाख के करीब दे दिए,ओर अब पुनर्वास बिभाग ठेकेदार से सरकारी धन की वसूली क्यों नही की गई,
इससे सम्बन्ध अगली जानकारी अगले चरण में पढ़ते रहे ताजा खबर उत्तराखंड