उत्तराखंड में होली से कुछ दिन पहले फियुली का त्योहार
बसन्त ऋतु के आगमन पर छोटे-छोटे बच्चे को इसका इन्तजार रहता हे कि कब यह दिन आये ओर सुबह 2 उठकर फूल लेने जाय ओर फूल लाकर घरो के डेली के उपर डाले जिसे कहते हे कि घर का मुख्य प्रवेश द्धारा को गणेश माना जाता हे ओर बच्चे सुबह 2 प्रवेश द्धार पर फूल डाल कर गणेश को चढाते हे ओर यह पराम्परा 1 माह यानि बेसाखी के दिन तक फूल को डाला जाता हें ओर जिस दिन यह पूरा होता हे तो घर के बडे बुजुर्ग बच्चो को अपना आर्शीवाद देकर उनके लिये कपडे ओर रूपया देते हे ।
हिन्दी के साहित्यिक प्रोफेसर सुरेंद्र जोशी का कहना हे कि यह जो फियोली का त्यौहार आता हे यह उतराखण्ड के पहाडो में बसन्त रितु के आगमन के उपलक्ष्य में छोटे-छोटे बच्चे सुबह-सुबह अपने घरो के डेली में फूल डालते हे ओर बुजुर्ग लोगो ने प्रमाण ओूर दावे के साथ कहना हे कि बसन्त रितु जब आती हे तो सबसे पहले फियुली ओर पैया का फूल खिलता हे ओर हमारी सस्र्कति का अद्धितीय अंग हे ओर पहाड के हर गीत में इसका वर्णन आता हे
फियुली का त्योहार इस लिये मनाया जाता हें कि जेसे ही बसन्त ऋतु आती हें तो सबसे पहले फियुली का ही फूल खिलता हें पुराणो में कहते हे कि फियुली एक लडकी थी जो जगंल में फूल पेडो के साथ ही रहती थी ओर बहुत खुबसूरत थी तो जगल से एक दिन राजकुमार गुजरा तो राजा ने इस लडकी को देखा ओर इससे जबरदस्ती शादी कर दी जेसे ही शादी हुई तो रानी बनकर महल में रहने लगी तो फियुली रानी का मन उदास सा रहने लगा ओर बीमार हो गई तो फियुली रानी ने मरने से पहले राजा से बचन मागा था कि मेरे मरने पर मेरा शव को उसी जगल में दबा के आना जहा से आप मुझे लाये तो राजा ने ऐसा ही किया ओर उसके शव को दबाने के बाद उसके उपर फियुली का फूल उग गया जब बसन्त ऋतु आती हें तो सबसे पहले फियुली का ही फूल खिलता हें।
होली से कुछ दिन पहले फियोली का त्यौहार आते ही सबके मन में यह रहता हें कि बसन्त ऋतु आ गई्र ओर इसको देखते हुये गढवाल के प्रसिद्ध लोक गायक नरेन्द्र सिह नेगी ने फियोली का त्यौहार पर खूब अच्छा गाना गाया।