टिहरी जिले के नरेन्द्रनगर की सबसे ऊंची पहाड़ी पर स्थित है मां कुंजापुरी शक्तिपीठ जिसकी पैदल दूरी करीब 5 किलोमीटर है…स्कन्द पुराण के अनुसार राजा दक्ष द्वारा जब प्रजापति बनने के बाद यज्ञ का आयोजन किया गया तो उन्होंने भगवान शिव को नहीं बुलाया…इससे आक्रोशित भगवान शिव की पत्नी सती ने दक्ष के यज्ञ में अपनी आहुति दे दी और जब भगवान शिव को पता चला तो वो क्रोध में वहां पहुंचे और सति के शरीर को उठाकर तांडव करने लगे और कंधे में सति के शरीर को लेकर चले गए जिसके बाद सति के शरीर के टुकड़े जहां जहां गिरे वो जगह शक्तिपीठ के रूप में जाने जानी लगी…इस तरह 52 जगहों पर सति के शरीर के टुकड़े गिरे और 52 शक्तिपीठ बने जिसमें से कुंजापुरी शक्तिपीठ में मां सति का वक्षस्थल जिसे कुंज कहा जाता है वो गिरा और कुंजापुरी शक्तिपीठ के रूप में जाना जाने लगा।
कुंजापुरी शक्तिपीठ में मां सति के मातृत्व स्वरूप के दर्शन होते है और मान्यता है कि यहां पहुंचने वाले भक्त अगर मां की पुत्र के रूप में पूजा अर्चना करते है तो उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और मां की विशेष कृपा उन्हें प्राप्त होती है…वहीं इस बार कोविड का असर धार्मिक स्थलों पर भी देखा गया है जिसके चलते मंदिर समिति द्वारा मुख्य द्वार को आम भक्तों के दर्शनों के लिए नहीं खोला जा रहा है और दूर से ही दर्शन और परिक्रमा कर भक्त मां का आर्शीवाद प्राप्त कर रहे है
कुंजापुरी शक्तिपीठ पहुंचने वाले भक्तों की मां कुंजापुरी में विशेष श्रद्धा और भक्ती है जिसके चलते कोविड के बाद हुए अनलॉक से धार्मिक स्थलों के खुलने के बाद भक्त यहां पहुंच रहे है और मां के दर्शन कर रहे है…दूर दराज से आए भक्तों को कहना है कि वो कब से धार्मिक स्थलों के खुलने का इंतजार कर रहे थे और अब नवरात्र में कुंजापुरी शक्तिपीठ पहुंचकर उन्हें शांति मिली है और उन्होंने कोविड महामारी को जल्द से जल्द खत्म करने की मां से प्रार्थना की है।