देहरादून में ड्रग्स की लत छुड़वाने के लिए चलने वाले प्राइवेट नशा मुक्ति केंद्र में नाबालिगों से रेप करने का मामला सामने आया है. आरोपी संचालक ड्रग्स देकर नाबालिग लड़कियों से रेप करता था और मना करने पर वॉर्डन ईंट के नुकीले हिस्से पर घंटों बैठने को मजबूर करती थी.
उत्तराखंड के नशा मुक्ति केंद्र में नाबालिग लड़कियों के साथ हुई दरिंदगी और हैवानियत की ये कोई पहली घटना सामने नहीं आई है. चहारदीवारियों के पीछे हुई दरिंदगी की घटना में देहरादून के कई संस्थान पहले भी बदनाम हो चुके हैं. देहरादून में लोगों से ड्रग्स की लत छुड़वाने के लिए चलने वाले प्राइवेट नशा मुक्ति केंद्र में नाबालिगों से रेप करने का मामला सामने आया है.
सेंटर की वॉर्डन पर लड़कियों को ड्रग्स देने और मैनेजर पर रेप करने का आरोप लगा है. विरोध करने पर लड़कियों की पिटाई भी की जाती थी. सेंटर से किसी तरह भागकर आईं 4 लड़कियों ने पुलिस में केस दर्ज कराया, जिसके बाद वॉर्डन और मैनेजर को गिरफ्तार कर लिया गया है.
5 अगस्त को ऐसे भागी लड़कियां
गुरुवार 5 अगस्त को सुबह साढ़े 5 बजे लड़कियों ने सेंटर की वॉर्डन को रूम में लॉक किया और भागने में कामयाब रहीं. जिसके बाद जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया था. क्लेमेंटाउन के प्रकृति विहार स्थित वॉक एंड विन सोबर लिविंग होम नाम के नशा मुक्ति केंद्र से चार नाबालिग लड़कियां भाग गई थीं.नाबालिग लड़कियों ने केंद्र का मुख्य द्वार बाहर से बंद कर दिया था. दो घंटे बाद पुलिस को इसकी सूचना दी गई तो उनकी खोजबीन शुरू हुई. पुलिस ने शुक्रवार 6 अगस्त की दोपहर को एक युवती को बंजारावाला क्षेत्र से पकड़ लिया. इसके बाद पुलिस ने अन्य तीन लड़कियों को त्यागी रोड स्थित एक होटल से खोज निकाला.
इनमें से एक लड़की ने पुलिस को खुलकर आपबीती बताई. युवती से पता चला कि नशामुक्ति केंद्र में बहुत गलत काम होते थे. युवती ने पुलिस को बताया कि वह स्मैक की आदी हो गई थी. इसलिए उसके माता-पिता ने बीते 20 मई को इस नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती करा दिया था.शुरूआत में सब ठीक-ठाक रहा, लेकिन कुछ दिनों बाद उसके पास केंद्र का संचालक विद्यादत्त रतूड़ी आया और उसे स्मैक देने का लालच दिया. उसने स्मैक के बदले शारीरिक संबंध बनाने की शर्त रखी. इसके बाद दुष्कर्म किया और उसे स्मैक का नशा देता रहा. पीड़ित लड़कियों का कहना है कि नशा मुक्ति केंद्र में लड़कियों से संचालक ने कई बार दुष्कर्म किया. जबकि, कुछ लोगों के साथ छेड़छाड़ भी करता था. यही कारण था कि चारों आबरू बचाने को वहां से भाग निकलीं.
विद्यादत्त और विभा भी रह चुके हैं नशेड़ी
एसओ क्लेमेंटाउन धर्मेंद्र रौतेला ने बताया कि केंद्र के संचालक विद्यादत्त और विभा खुद भी नशे के आदी थे. नशा छोड़ने के लिए वह नेहरू कालोनी क्षेत्र में एक केंद्र में पहुंचे. दोनों ने कुछ महीने बाद उसी केंद्र में काम शुरू कर दिया, इसके बाद दोनों ने अपना केंद्र खोलने की योजना बनाई और लोगों को लूटने लगे.
पहले भी हो चुकी हैं कई घटनाएं
देहरादून के नशा मुक्ति केंद्र में लड़कियों के साथ हुई दरिंदगी हैवानियत की कोई पहली घटना नहीं है. चाहे वह देहरादून नारी निकेतन में संवासिनी से दुष्कर्म का मामला हो या फिर बोर्डिंग स्कूल में छात्रा से दरिंदगी की घटना. राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान (एनआईईपीवीडी) में छात्र-छात्राओं के यौन शोषण के मामला अभी न्यायालय में विचाराधीन है.
अक्तूबर 2015 में नारी निकेतन केदारपुरम में मूक बधिर संवासिनी से दुष्कर्म का मामला सामने आया. पुलिस पड़ताल में पता चला कि संवासिनी का गर्भपात भी कराया और भ्रूण को जंगल में दफना दिया गया. इसमें मुख्य आरोपी समेत कुल नौ लोगों को सितंबर 2019 में सजा सुनाई जा चुकी है.
अगस्त 2018 में दृष्टि दिव्यांगों के केंद्रीय संस्थान एनआईईपीवीडी में दृष्टि दिव्यांग छात्र-छात्राओं से दुष्कर्म का मामला सामने आया. इस मामले में संगीत शिक्षक के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ. संस्थान में कई तरह की सुविधाएं इस घटना के बाद बढ़ाई गईं हैं और मामला कोर्ट में विचाराधीन है.
सितंबर 2018 में सहसपुर थाना क्षेत्र के एक बोर्डिंग स्कूल में नौवीं की छात्रा से दुष्कर्म की बात सामने आई. चार नाबालिगों और डायरेक्टर समेत कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया. 2020 में आरोपियों को सजा भी सुनाई गई. मुख्य आरोपी छात्र को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.