उत्तराखंड शासन ने टीएचडीसी इंडिया को टिहरी बांध का जल स्तर दो मीटर बढ़ाने की अनुमति दे दी है। जिससे टिहरी बांध का अधिकतम जलस्तर आरएल 828 से बढ़कर आरएल 830 तक किया जा सकेगा।
इस फैसले से जहां टीएचडीसी का प्रबंधन तंत्र खुश है वहीं टिहरी बांध प्रभावित गांव के लोगों में निराशा है। उनका कहना है कि पहले शासन-प्रशासन को चिन्हित परिवारों का विस्थापन और भूस्खलन से जद में आ रहे गांवों की समस्या हल करनी चाहिए उसके बाद ही जल स्तर बढ़ाने की अनुमति देनी थी।
गत माह शासन ने टिहरी बांध से प्रभावित चिन्हित 415 परिवारों के विस्थापन के लिए प्रति परिवार टीएचडीसी को 74.4 लाख रुपये बतौर मुआवजा दिए जाने और प्रतापनगर के रौलाकोट गांव के पूर्ण विस्थापन के निर्देश दिए थे। यही नहीं टीएचडीसी से बांध विस्थापन के मामले में हाईकोर्ट में दर्ज केस वापस लेने के भी निर्देश दिए थे। इसके बाद से ही टीएचडीसी बांध का जलस्तर आरएल 828 से बढ़ाकर आरएल 830 करने पर अड़ी थी। टीएचडीसी के अधिकारियों का कहना है कि जलस्तर बढ़ने से विद्युत उत्पादन बढ़ेगा और टीएचडीसी के साथ ही सरकार को भी राजस्व मिलेगा। पुनर्वास निदेशक/डीएम इवा आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि 25 अगस्त को सचिव सिंचाई हरीशचंद्र सेमवाल की ओर से जारी आदेश में टीएचडीसी को बांध का जल स्तर दो मीटर बढ़ाने की अनुमति दे दी है। इस फैसले से टिहरी बांध आंशिक डूब क्षेत्र संघर्ष समिति, भटकंडा, रौलाकोट सहित अन्य गांव के लोगों में रोष बना हुआ है। समिति के अध्यक्ष सोहन सिंह राणा, प्रदीप भट्ट ने बताया कि बांध विस्थापितों का प्राथमिकता के साथ पुनर्वास और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए। इसके बाद ही जल स्तर बढ़ाने की अनुमति मिले। इस मामले में वह सोमवार को पुनर्वास निदेशक से वार्ता करेंगे। रौलाकोट निवासी अरविंद प्रसाद नौटियाल का कहना है कि जल स्तर बढ़ाने का मामला शासन और टीएचडीसी का है। उनकी मांग है कि पूरे गांव को एक ही पुनर्वास स्थल पर विस्थापन किया जाए।.