टिहरी झील में डूबे पर्यटन विभाग के दो व्यू प्वाइंट,हेलीपैड डूबने की कगार पर,

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आपको बता दें कि 25 मई 2018 को केंद्रीय वित्त पोषित योजना के तहत भारत सरकार की स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत,पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज टिहरी की सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह और टिहरी के विधायक धन सिंह नेगी के द्वारा टिहरी झील के किनारे कोटि कालोनी में लोकार्पण किया गया,

स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत पर्यटन विभाग ने पर्यटको को बढ़ावा देने कें लिये उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम से लगभग 80 करोड़ की लागत से कई योजनाएं बनाई जिनमें यह व्यूप्वाइंट भी था जो आज टिहरी झील के जलस्तर बढ़ने से पर्यटन विभाग की सरकारी संपत्ति व्यू प्वाइंट रेलिंग हेलीपेड आदि डूब गई है,

वोट यूनियन के पूर्व अध्यक्ष लखबीर चौहान ने पर्यटन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिया है कि जब टिहरी झील का जलस्तर 830 rl मीटर भरने का पहले से ही था तो आखिर पर्यटन विभाग ने सरकारी पैसे को बर्बाद करके 835 rl मीटर से नीचे यह संपत्ति क्यों बनाई जो पर्यटन विभाग पर सवाल खड़े कर रहा है इन मामले में जांच होनी चाहिए,क्योंकि अभी तो 828 rl मीटर पर पानी आने से यह बुरा हाल है और जब 830 rl मीटर तल जलस्तर बढ़ेगा तो फिर आप समंझ सकते है कि यह पर कितना बुरा हाल होगा

अगर 830 आर एल मीटर तक जलस्तर पहुंचता है तो जो पर्यटन विभाग के द्वारा आस्था पथ 2 व्यू प्वाइंट रेलिंग हेलीपैड सब डूब जाएंगे

साथ ही जिसने भी यह प्लानिंग बनाई है उसकी जांच होनी चाहिए कि जब सभी को पता था कि टिहरी झील का जलस्तर 830 मीटर तक जाएगा तो फिर आखिर पर्यटन विभाग के उन अधिकारियों ने क्यों 835 से नीचे सरकारी पैसा से यह संपत्ति बनाई जो डूब गई, इसकी जांच होनी अति आवश्यक है कहीं ऐसा ना हो कि जल स्तर बढ़ता जाए और आसपास के लोगों को खतरा उत्पन्न होगा हो

दूसरे सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीन रावत ने कहा कि टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने से पर्यटन बिभाह को नुकसान हुआ है जो सरकारी संपत्ति टिहरी झील में जलमग्न हुई है और टीएसडीसी को पर्यटन विभाग को बताना चाहिए था कि आप इतने जल स्तर तक काम करें वही

टिहरी बांध परियोजना के अधिशासी निदेशक उमेश कुमार सक्सेना ने बताया कि 835 से नीचे जितने भी संपत्ति है वह टिहरी बांध परियोजना की है और किसी भी विभाग के द्वारा 835 आर एल मीटर से नीचे कोई भी सरकारी और अर्धसरकारी संपत्ति बनाता है ओर वह डूब जाती है तो उस पर टीएसडीसी की कोई जिमेदारी नही है और ना ही उस नुकसान का कोई मुआवजा देगी और जो भी विभाग 835 rl मित्र7 से नीचे कोई भी संम्पति बनाती है तो उसकी जिम्मेदारी उसी विभाग की होगी

पर्यटन अधिकारी सोबत सिंह राणा का कहना है कि पर्यटन विभाग के द्वारा जो व्यू प्वाइंट रेलिंग हेलीपैड बनाए गए थे वहां टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने से डूब गए हैं ओर जब झील का जलस्तर कम होगा तो फिर पर्यटको के काम आएगा जब इनसे पूछा गया कि यह कितने की योजना है तो इन्हें पूरा पता ही नही है,जब अधिकारी को अपनी योजना के बारे में पता ही नही तो आप समंझ सकते है कि पर्यटन विभाग में किस तरह से योजनाये बनाई जा रही होगी,

लेकिन फिर भी सवाल खड़े हो गए कि आखिर पर्यटन बिभाग ने क्यों 835 rl मीटर से नीचे टीएचडीसी की जमीन पर सरकारी पैसा लगाकर बर्बाद किया,

 

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