भारत में पहली और दुनिया की तीसरी रनर THDC के पंप स्टोरेज प्लांट के टनल में किया गया सफलता पूर्वक स्थापित ,

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टिहरी बांध परियोजना के नाम बड़ी उपलब्धि शामिल हो गई है,टिहरी बांध परियोजना के पंप स्टोरेज प्लांट की टनल में फ्रांस से लाई गई रनर को सफलता पूर्वक किया गया स्थापित ,यह भारत मे पहली और दुनिया की तीसरी रनर है

टीएचडीसीआईएल के कार्यकारी निदेशक,पीएसपी परियोजना प्रमुख एल. पी. जोशी ने बताया कि टीएचडीसी आईएल एक शेड्यूल-ए मिनी रत्न पीएसयू है और टिहरी पीएसपी (पंप स्टोरेज प्लांट) टीएचडीसीआईएल की एक निर्माणाधीन परियोजना है। टिहरी पीएसपी परियोजना में 250 मेगावाट की 4 टरबाइन हैं जो कि मिलकर कुल 1000 मेगावाट होती है। टीएचडीसीआईएल ने टिहरी पीएसपी की 250 मेगावाट की पहली टरबाइन के रनर की स्थापना का कार्य सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। इसे टिहरी पंप स्टोरेज प्लांट के निर्माण की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर माना जा रहा है।

साथ ही बता दे कि आज इस रनर का फिट किया गया है यह अब तक दुनिया मे तीसरी रनर लगी है इनसे पहले फ्रांस स्वीटजरलैंड और अब भारत के टिहरी में पहली बार इस रनर को फिट किया गया है जो वैरिएबल स्पीड पर काम करती है जो अपने आप में भारत के साथ टिहरी बांध परियोजना के लिए बड़ी उपलब्धि है

आपको बता दें कि टिहरी बांध परियोजना 2400 मेगावाट की है, जिसमें से एक हजार मेगावाट मुख्य बांध और 400 मेगावाट कोटेश्वर बांध से बिजली उत्पादन हो रहा है। जबकि एक हजार मेगावाट की पीएसपी परियोजना का निर्माण 2011 में शुरू हुआ था। इस परियोजना में पीएसपी का सिविल कार्य एचसीसी, हाइड्रो, इलेक्ट्रो मैकेनिकल कार्य जीई हाइड्रो फ्रांस एवं जीई पावर इंडिया कंपनी कर रही है

एक हजार मेगावाट की पंप स्टोरेज प्लांट (पीएसपी) के निर्माण से कोई भी गांव प्रभावित नहीं हुआ है। परियोजना के मुख्य बांध के अंदर ही विभिन्न सुरंगों और अन्य निर्माण किया जा रहा है। साथ ही टिहरी और कोटेश्वर बांध से बिजली उत्पादन से निकालने वाले पानी को रिसाइकिल कर बिजली उत्पादन किया जाएगा। परियोजना का निर्माण पूरा होने से देश की ऊर्जा जरूरतें पूरी होने के साथ ही टीएचडीसी के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ जाएगी। इससे जहां एक हजार मेगावाट बिजली उत्पादन होगा वहीं स्थानीय लोगों को लाभ होगा। बिजली उत्पादन से मिलने वाले राजस्व की दो फीसदी धनराशि सीएसआर मद से बांध प्रभावित क्षेत्र के विकास कार्यों पर खर्च की जाएगी।
टिहरी बांध परियोजना के डाउनस्ट्रीम में स्थित कोटेश्वर बांध की झील से अपस्ट्रीम में स्थित टिहरी बांध झील में जल को पंपिंग कर पहुंचाया जाएगा, जिससे चार टरबाइनों को चलाकर बिजली उत्पादन किया जाएगा। बिजली उत्पादन ग्रिड की मांग के अनुसार होगा।

टीएचडीसी को 2016 में पीएसपी का निर्माण करना था, लेकिन विभिन्न तकनीकी और स्थानीय दिक्कतों के कारण पीएसपी पूरी नहीं हो पाई। यदि अब सब कुछ ठीकठाक रहा तो टीएचडीसी दिसंबर 2022 तक निर्माण कार्य पूरा कर बिजली उत्पादन शुरू कर देगी। इसके लिए इन दिनों तेजी से काम किया जा रहा है। इस परियोजना के बन जाने से जहां एक ओर देश की ऊर्जा जरूरतें पूरी होगी, वहीं टीएचडीसी से लेकर स्थानीय लोगों को भी फायदा होगा। टीएचडीसी बिजली उत्पादन से अच्छी आय अर्जित करेगी, जिसकी दो फीसदी धनराशि टीएचडीसी सामाजिक दायित्व मद से बांध प्रभावित क्षेत्र के विकास पर खर्च करेगी।

इस अवसर पर कार्यकारी निदेशक टीएचडीसीआईएल और पीएसपी परियोजना प्रमुख एल.पी. जोशी, कंसोर्टियम के प्रमुख (मेसर्स जीईएचएफ मेसर्स जीईपीआईएल और मैसर्स एचसीसी) अजय शुक्ला, मेसर्स एचसीसी के परियोजना प्रबंधक जे. मोहंती और टीएचडीसीआईएल के अन्य अधिकारी कर्मचारी स्थल पर उपस्थित थे।

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