आज उत्तराखंड बने 22 साल हो गए है और सभी इसे बड़े धूमधाम से मना रहे है लेकिन कई आंदोलन कारी ऐसे है भइन्हे जो आज भी परेशानियों में जी रहे है यह फिर सम्मान की रहा ताक थे है ऐसे ही मामला टिहरी का है
जहाँ उत्तराखंड आंदोलन के दौरान कई लोग शहीद हुए उनमें नई टिहरी के रहने वाले गंभीर सिंह कठैत भी उत्तराखंड आंदोलन के दौरान मशाल जुलूस निकालते समय झुलस गया काफी प्रयत्न करने के बाद भी गंभीर सिंह कठैत को नहीं बचाया जा सका और वह शहीद हो गए, तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने गंभीर सिंह कठित को शहीद का दर्जा दिया उसके बाद नई टिहरी के बौराड़ी साई चौक में शहीद गंभीर सिंह कठैत के नाम से पार्क बनाया गया उस पार्क में गंभीर की शक्ल की मूर्ति लगाने के लिए मंगाई गई जिसमें दो बार गंभीर की मूर्ति बनकर आई लेकिन जो मूर्ति आई वह गंभीर की शक्ल से नही मिलती थी,जो पार्क के बगल में ही पड़ी है और तीसरी बार गंभीर शक्ल की मूर्ति लाकर इस पार्क में लगी है परन्तु 18 साल बीतने के बाद भी इस पार्क और मूर्ति का उदघाटन अनावरण नही हो पाया
जिसको लेकर शहीद की माता रामेश्वरी देवी ने बताया कि वर्ष 2004 से न्याय के लिए भटक रही हैं। उन्होने कहा कि बौराड़ी में गंभीर सिंह कठैत के स्मारक पर शहीद लिखा गया है, लेकिन जिला प्रशासन की कमेटी ने अभी तक इसका उदघाटन नही किया जिसके लिए में शासन प्रशासन नगर पालिका से कई बार अनुरोध कर चुकी हूं पर किसी ने इस तरफ कोई ध्यान नही दिया,
प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन की नाकामी के चलते बौराड़ी स्थित शहीद गंभीर सिंह कठैत की स्मारक में इन 18 सालों में एक मूर्ति का अनावरण उदघाटन तक नही हुआ है। ऐसे में अन्दाजा लगाया जा सकता है कि जिले में बैठे राजनेता और अधिकारी कैसे होंगे