नई टिहरी पलायन की मार झेल रहा टिहरी जिले थौलधार ब्लॉक का राजकीय जूनियर हाईस्कूल मरगांव बंद होने की कगार पर है क्योंकि यहां पर मात्र एक छात्रा अध्यनरत है और विद्यालय में तीन अध्यापक कार्यरत है। जिनमे 2 अध्यापक और 1 अध्यापिका है व भोजन माता,एक छात्रा पर शिक्षा विभाग के खर्च हो रहे है 36 लाख रूपये
आपको बता दें राजकीय जूनियर हाईस्कूल मरगांव 2006 में स्वीकृत हुआ, 2006 से लेकर 2014 तक पठन-पाठन का कार्य पंचायत भवन में चलता रहा, लेकिन 2014 में विद्यालय भवन का काम पूर्ण होने के पश्चात पठन-पाठन का कार्य विद्यालय भवन में शुरू हुआ, उस समय यहां पर छात्र-छात्राओं की संख्या लगभग 23 थी, उसके बाद पिछले साल यहां पर छात्र संख्या 23 से घटकर लगभग 2 रह गई और इस वर्ष 2022 की अगर बात की जाए तो यहां पर मात्र 1 छात्रा अध्ययनरत है और 3 अध्यापक और एक भोजन माता इस विद्यालय में हैं।
यह विद्यालय मरगांव, ग्वाल गांव और खर्क भैन्डी के मध्य बिंदु पर बनाया गया है ताकि तीनों जगह के बच्चों के लिए आने-जाने में सुविधा हो सके, लेकिन गांव में लगभग 100 से अधिक परिवार रहते हैं जिनमें से आधा से अधिक परिवारों ने गांव से रोजगार के लिए पलायन कर चुके हैं। कुछ बच्चे अपने माता-पिता के साथ शिफ्ट हो चुके हैं
जिसके कारण विद्यालय में मात्र एक छात्रा कुमारी काजल ही अध्ययनरत है। काजल के पिता गांव में ही रहते हैं, जिसके कारण काजल का विद्यालय में अकेला पढ़ना एक मजबूरी हो गई है।
प्रधानाध्यापक राकेश चंद डोभाल ने कहा कि भौगोलिक दृष्टि से देखा जाए तो यह स्कूल जंगल के बीच में बनाया गया है जिसके कारण गांव के बच्चों को यहां पर आने-जाने में कई तरह की दिक्कतें होती है क्योंकि स्कूल के चारों तरफ जंगल ही जंगल है और जंगल होने के कारण यहां पर जंगली जानवरों का भय रहता है जिसके कारण गांव के अधिकांश बच्चे अपने माता-पिता के साथ शहरों में शिफ्ट हो चुके हैं
मजे से कट रही है अध्यापकों की जिंदगी एक छात्रा होने से नहीं है कोई पढ़ाई का और ना ही पढ़ाने का टेंशन
विद्यालय में मात्र एक छात्रा होने के कारण अध्यापक बारी-बारी से छात्रा को अपने सब्जेक्ट पढ़ाते हैं और उसके बाद अध्यापकों के बाद काफी समय खाली होता है तो आजकल धूप का आनंद भी लेते हैं और सरकारी दाल चावल खाने के लिए एक भोजन माता भी उनके लिए विद्यालय में कार्यरत हैं। आपको बता दें एक छात्रा पर लगभग शिक्षा विभाग के महीने के तीन लाख और अगर पूरे वर्ष की बात की जाए तो लगभग 36 लाख रुपए खर्चा हो रहा है
रिपोर्ट दीपक मिश्रावान टिहरी गढ़वाल