THDC के E.D. एलपी जोशी ने कह ऊर्जा प्रदेश का सपना होगा साकार,सरकार की नीति से कार्य करेगी THDC

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टीएचडीसी इंडिया के नवनियुक्त अधिशासी निदेशक (टीसी) एलपी जोशी ने कहा कि अगले माह 31 मार्च तक पीएसपी (पंप स्टोरेज प्लांट) की पहली यूनिट बॉक्सअप हो जाएगी। जबकि दूसरी यूनिट का राउटर भी अप्रैल माह में स्थापित किया जाएगा। इस साल के अंत तक 250 मेगावॉट क्षमता की पहली टरबाइन से विद्युत उत्पादन शुरू हो जाएगा। अंतर्राज्यीय विद्युत आपूर्ति के लिए टिहरी बांध की पीएसपी भारत सरकार की पहली परियोजना होगी।
बीपुरम में पत्रकार वार्ता करते हुए टीएचडीसी के ईडी एलपी जोशी ने बताया कि टीएचडीसी देश को क्लीन एनर्जी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना रहा है। हाईड्रो, सोलर और विंड एनर्जी के जरिए देशभर में परियोजनाएं बनाई जा रही है। ग्रिड को 2030 तक 500 गीगा वॉट विद्युत आपूर्ति के लक्ष्य के लिए रिन्यूवल एनर्जी का लक्ष्य 40 प्रतिशत निर्धारित किया गया है। वर्तमान में ग्रिड 100 गीगा वॉट विद्युत आपूर्ति कर रहा है। टीएचडीसी अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में कई परियोजनाएं बना रहा है। उत्तराखंड सरकार के साथ टीएचडीसी का संयुक्त उपक्रम फाइनल स्टेज पर है। सोलर प्लांट के लिए राजस्थान और यूपी सरकार के साथ उपक्रम बनाए हैं। टीएचडीसी राजस्थान में 10 हजार मेगावॉट और यूपी में 2 हजार मेगावाट के सोलर पार्क बना रही है। पीएसपी बनने के बाद टीएचडीसी संपूर्ण क्षमता 2400 मेगावॉट के साथ विद्युत उत्पादन शुरू करेगा। इसके अलावा सिंचाई और पेयजल आपूर्ति में भी टिहरी बांध मील का पत्थर साबित हो रहा है। उत्तराखंड में जल विद्युत परियोजनाओं की अभी भी अपार संभावनाएं हैं। इसके लिए सरकार के साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं।

टिहरी बांध परियोजना के एक हजार मेगावाट क्षमता के पंप स्टोरेज प्लांट से दिसंबर 2023 से बिजली उत्पादन शुरू हो जायेगा। पीएसपी का काम अंतिम चरण में चल रहा है, 31 मार्च को पीएसपी की पहली यूनिट को बॉक्स अप कर दिया जायेगा और अप्रैल में दूसरी यूनिट को बॉक्स अप कर दिया जायेगा। 31 दिसंबर 2023 तक पीएसपी से बिजली उत्पादन शुरू कर दिया जायेगा। उसके बाद टिहरी बांध से बिजली उत्पादन भी बढ़ जायेगा। पीएसपी बनने के बाद हम पानी को ज्यादा स्टोर कर पायेंगे और जरुरत के हिसाब से ग्रिड को बिजली दे सकेंगे। पीएसपी के बनने के बाद टिहरी बांध का पानी हम सुविधानुसार पंप कर दोबारा से झील में ले जा सकेंगे। यह देश का बड़ा महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। वर्ष 2030 तक 500 जीगावाट बिजली को ग्रिड तक पहुंचाने के उद्देश्य से टीएचडीसी देश भर में बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि टीएचडीसी को अरूणांचल प्रदेश में भी देमव लोवर में 1750 मेगावाट की और कलाई टू लोहित बेसिल में 1200 मेगावाट क्षमता की दो परियोजनायें मिली हैं। बिजली मंत्रालय ने अब लोहित बेसिल में सभी बिजली परियोजनाओं को टीएचडीसी को ही बनाने की जिम्मेदारी दी है। टिहरी बांध झील के कारण जो भी प्रभावित ग्रामीण क्षेत्र हैं उनके निरीक्षण के लिये संयुक्त विशेषज्ञ समिति गठित की गई है। समिति ने सभी गांवों का दौरा किया है। समिति की जो भी रिपोर्ट होगी और जिन स्थान पर झील के कारण नुकसान हो रहा है तो उसमें जो भी सरकार की नीति होगी उसके हिसाब से टीएचडीसी कार्य करेगी। इस मौके पर अपर महाप्रबंधक (मानव संसाधन) डा. एएन त्रिपाठी, उप प्रबंधक मनवीर नेगी, दीपक उनियाल, आरडी ममगाईं, विपिन सकलानी, सुरेश आदि मौजूद रहे।

टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक एलपी जोशी ने बताया ऊर्जा प्रदेश का सपना होगा साकार राज्य सरकार और टीएचडीसी ने मिलकर ज्वाइंट वेंचर कंपनी खोली है और इसके तहत उत्तराखंड में जो भी हाइड्रो प्रोजेक्ट बनेंगे वह सभी टीएचडीसी बनायेगी। इसके तहत राज्य सरकार के साथ करार हो चुका है। इसके अलावा टीएचडीसी राजस्थान और उत्तरप्रदेश सरकार के साथ भी ज्वाइंट वेंचर कंपनी के तहत हाइड्रो और सोलर प्रोजेक्ट के कार्य कर रही है। राजस्थान में टीएचडीसी 10 हजार मेगावाट क्षमता का सोलर पार्क बना रही है और उत्तर प्रदेश में भी दो हजार मेगावाट का सोलर पार्क बना रही है।

 

 

 

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