टिहरी में लगातार हो रही तेज बारिश के चलते टिहरी झील के समीप बसे पीपोला गांव में एक मकान टूटा गया,जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ है और अन्य मकानों में दरार पड़ चुकी हैं ग्रामीणों ने कहा कि टिहरी झील के बढ़ते जलस्तर के कारण गांव के मकानों में दरार पड़ रही है और इन्हीं के कारण मकान खतरे की जद में आ रहे हैं गनीमत रही कि रात को मकान के अंदर सो रहे लोग आनन-फानन में बाहर आ गए और मकान पूरी तरह से टूट गया, जिसको लेकर आज जाखणीधार ब्लॉक के आंशिक डूब क्षेत्र पिपोला-खास गांव के ग्रामीणों ने डीएम से मुलाकात कर समस्याओं का ज्ञापन सौंपा। कहा कि टिहरी बांध की झील के जलस्तर में उतार-चढ़ाव के चलते गांव के मकानों में दरारें आ गई हैं। बीते दिनों एक घर अचानक ध्वस्त हो गया। गांव भू-धंसाव की चपेट हैं, इसलिए जल्द उनका पुनर्वास किया जाए।
बांध विस्थापितों के याचिकाकर्ता शांति प्रसाद भट्ट, ग्राम प्रधान कविता भट्ट के नेतृत्व में ग्रामीणों ने डीएम मयूर दीक्षित से मिलकर समस्या बताई। कहा कि गांव के 28 परिवारों का टिहरी बांध के कारण पूर्व में पुनर्वास किया गया है। जबकि 23 परिवारों को संयुक्त विशेषज्ञ समिति ने विस्थापन की संस्तुति की है। बावजूद इसके टीएचडीसी और पुनर्वास विभाग कार्यवाही को तैयार नहीं है। गांव के 7 ऐसे परिवार हैं जिनके भवनों का मूल्यांकन हो चुका है, लेकिन सर्वे सीट पुनर्वास विभाग में धूल फांक रही है। 15 जुलाई को गांव के विनोद और बालकृष्ण भट्ट का पुश्तैनी मकान ध्वस्त हो गया। मकानों, खेतों, आंगन में झील के कारण दरारें पड़ गई हैं। कई परिवार खतरे की जद में है।
डीएम ने ग्रामीणो को आश्वस्त दिया और ग्रामीणो की समस्या को गंभीरता से हल करने को कह ओर ग्रामीणो को कह की अगर किसी भी तरह की कोई समस्या है तो उनका जल्दी समाधान किया जाएगा,और तहसीलदार को गांव का दौरा कर रिपोर्ट मांगी है। जल्द ही पुनर्वास विभाग की बैठक करेंगे। साथ ही गांव का भी स्थलीय निरीक्षण करेंगे।
बाइट शांति भट्ट ग्रामीण
बाइट महिला पीड़ित
बाइट कविता भट्ट ग्राम प्रधान
बाइट मयुर दीक्षित डीएम टिहरी