भारत युद्ध नहीं, बल्कि संवाद और कूटनीति का समर्थन करता है – प्रधानमंत्री मोदी

0
40

साइबर सुरक्षा और सुरक्षित एआई के लिए वैश्विक नियमों पर काम करने की जरूरत है – प्रधानमंत्री 

रूस।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में कहा कि भारत युद्ध नहीं, बल्कि संवाद और कूटनीति का समर्थन करता है। उन्होंने रूस-यूक्रेन संघर्ष को शांतिपूर्ण वार्ता के माध्यम से हल करने का आह्वान करते हुए एक स्पष्ट संदेश दिया। उन्होंने कहा, हम युद्ध नहीं, बल्कि संवाद और कूटनीति का समर्थन करते हैं। और जिस तरह हम कोविड जैसी चुनौती से मिलकर पार पा सके, उसी तरह हम निश्चित रूप से भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित, मजबूत और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करने के लिए नए अवसर पैदा करने में सक्षम हैं। बता दें कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उनके चीनी समकक्ष शी जिनपिंग समेत ब्रिक्स देशों के शीर्ष नेताओं ने भाग लिया।

इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद से निपटने के लिए ठोस वैश्विक प्रयासों की भी वकालत की और कहा कि इस खतरे से लड़ने में कोई दोहरा मापदंड नहीं होना चाहिए। आतंकवाद और आतंकी वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए हमें सभी के एकजुट और दृढ़ समर्थन की आवश्यकता है। इस गंभीर मामले में दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं है। हमें अपने देशों में युवाओं के कट्टरपंथीकरण को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, हमें संयुक्त राष्ट्र में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन के लंबे समय से लंबित मामले पर मिलकर काम करना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा, इसी तरह, हमें साइबर सुरक्षा और सुरक्षित एआई के लिए वैश्विक नियमों पर काम करने की जरूरत है।

इस दौरान पीएम ने कहा कि भारत भागीदार देशों के रूप में ब्रिक्स में नए देशों का स्वागत करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, इस संबंध में, सभी निर्णय आम सहमति से लिए जाने चाहिए और ब्रिक्स के संस्थापक सदस्यों के विचारों का सम्मान किया जाना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा, जोहान्सबर्ग शिखर सम्मेलन के दौरान अपनाए गए मार्गदर्शक सिद्धांतों, मानकों, मानदंडों और प्रक्रियाओं का सभी सदस्यों और भागीदार देशों की तरफ से अनुपालन किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने इस दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अन्य वैश्विक निकायों में सुधार की भी वकालत की। उन्होंने कहा, हमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, बहुपक्षीय विकास बैंकों और विश्व व्यापार संगठन जैसे वैश्विक संस्थानों में सुधारों पर समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ना चाहिए। जब हम ब्रिक्स में अपने प्रयासों को आगे बढ़ाते हैं, तो हमें यह सुनिश्चित करने के लिए सावधान रहना चाहिए कि यह संगठन वैश्विक संस्थानों की जगह लेने की कोशिश करने वाले संगठन की छवि न बना ले।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here