टिहरी बांध विस्थापित प्रतापनगर के रौलाकोट गांव के ग्रामीणों ने बांध परियोजना से आवंटित आवासीय और कृषि भूखंडों को पुनर्वास स्थलों पर विकसित न करने और कब्जा न देने का आरोप लगाया है। उन्होंने डीएम/पुनर्वास निदेशक कार्यालय पर पहुंचकर समस्या बताई। कहा कि 2022 में उन्हें विस्थापित कर हरिद्वार और देहरादून में भूखंड आवंटित किए गए थे। लेकिन अभी तक भूखंडों को न तो विकसित किया गया है और न ही कब्जा मिल पाया है।
सोमवार को गांव के निवासी व वरिष्ठ पत्रकार अरविंद नौटियाल, ग्राम प्रशासक आशीष डंगवाल के नेतृत्व में रौलाकोट के ग्रामीणों ने डीएम/पुनर्वास निदेशक मयूर दीक्षित को बताया कि आरएल 865 मीटर के अंतर्गत उनका गांव टिहरी बांध परियोजना के चलते विस्थापित किया गया। 2022 में लॉटरी के माध्यम से गांव के 100 से अधिक परिवारों को कृषि भूखंड प्रतीत नगर रायवाला जनपद हरिद्वार और 200 मीटर आवासीय भूखंड केदारपुरम पटेल नगर देहरादून में आवंटित किए गए थे। दोनों श्रेणी के भूखंड अविकसित थे, उन्हें विकसित कर विस्थापितों को कब्जा देना था। लेकिन आज की तिथि तक तीन साल बीतने पर भी विस्थापित भूखंडों के कब्जे को तरस रहे हैं। आलम यह है कि आवासीय भूखंड स्थलों पर बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधा तक नहीं है। ऐसे में उनकी टिहरी बांध और राष्ट्र के लिए दी गई कुर्बानी को दृष्टिगत रखते हुए समस्या हल की जाए। जिस पर डीएम ने पुनर्वास विभाग के एसई आरके गुप्ता को जरूरी निर्देश दिए हैं।
साथ ही अरविंद नौटियाल ने बेरबागी के विस्थापन के लिए वार्ता की ओर कह पुर्नवास नीति के तहत बेरबागी का भी विस्थापन होना चाहिए, जबकि पुनर्वास नीति ने साफ लिखा है कि गाव के 75 प्रतिशत परिवार डूब में आ गए है तो शेष स्वत ही डूब में आएंगे,जिसपर डीएम ने मामले का संज्ञान लिया है
इस मौके पर शुरबीर सिंह,श्रीराम,बुद्धि सिंह, राय सिंह, जगदीश सिंह, श्री राम, हीरा लाल, जगमोहन, जय सिंह बिष्ट, कलम सिंह, खेम सिंह, बसंती देवी, संगीता देवी, लक्ष्मी देवी, विमला देवी, दीपक, मनोज, सब्बल सिंह धनाई, विनोद सिंह आदि 50 से अधिक परिवार शामिल रहे।