टिहरी- बच्चे किसी भी देश का भविष्य होते हैं, देश के चहुमुखी विकास के लिए बच्चों व युवाओं को बेहतर उच्च शिक्षा देना जरूरी है। पहाड़ों में बेहतर शिक्षा दिलाने के सरकार लाख दावे करती आ रही है। परंतु अगर देखा जाए तो जमीनी स्तर पर ये दावे खोखले साबित हो रहे हैं।
इसका जीता- जागता उदाहरण विकासखंड घनसाली का राजकीय प्राथमिक विद्यालय कोट थाती कठूड़, बूढ़ा केदार है, जहां सरकार के दावों की पोल खुलकर सामने आ रही है, क्योंकि जिस स्कूल में कम से कम आधा दर्जन अध्यापक होने चाहिए उस स्कूल में पिछले 4 वर्षों से केवल 2 ही अध्यापक तैनात है। सभी पद खाली होने की वजह से 2 ही अध्यापकों को स्कूल के सारे कार्य देखने पड़ रहे हैं तथा उसके लिए सभी विषय कवर करना बहुत मुश्किल है। उस वजह से उक्त स्कूल केवल नाममात्र का स्कूल बनकर रह गया है।
शिक्षकों की कमी के चलते बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है, इससे देश की भावी पीढ़ी का भविष्य अधर में नजर आ रहा है।
परिणामस्वरूप स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे 135 बच्चों की शिक्षा पर पूरी तरह ग्रहण लग चुका है जो शिक्षा विभाग और सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल या निशान खड़े कर रहा है।
सरकार द्वारा बच्चों की शिक्षा करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं इसके बावजूद भी पहाड़ में कई ऐसे स्कूल हैं जहां पर अध्यापकों की कमी है।
प्रदेश सरकार व शिक्षा विभाग की अनदेखी के चलते बच्चों के अभिभावकों में रोष पनप रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में निजी स्कूल न होने के चलते अभिभावक सरकारी स्कूलों में ही अपने बच्चों को पढ़ाते हैं लेकिन अगर स्कूलों में शिक्षक नहीं होंगे तो फिर वहां शिक्षा की लौ कैसे जलाई जा सकेगी, वहीं अभिभावकों में शिक्षकों की तैनाती न होने से रोष है।
जिसको लेकर अभिभावकों ने जिलाधिकारी से मिलकर अध्यापकों की मांग की ताकि बच्चों का भविष्य अदर में ना रहे। साथ ही चेतावनी दी कि यदि जल्द ही इस विद्यालय में अध्यापकों की तैनाती नहीं की जाती है तो इसके लिए गांव के लोग जिलाधिकारी कार्यालय में धरने पर बैठने को मजबूर होंगे।