छ करोड़ की रानीगढ़ पेयजल योजना के फिल्टर टैंक से एकदिन भी नही मिला दस हजार की जनता को पानी,जल निगम व जल संस्थान के अधिकारियों ने पहुंचाया ठेकेदार को लाभ,
वीडियो में आप देख सकते है कि यह दो अधिकारी नवनीत कटारिया,अधिशासी अभियंता, जल निगम घनसाली ओर अभिषेक वर्मा जल संस्थान घनसाली ने एक दूसरे के कमी बताने में लगे,इन्ही की बातों से साफ जाहिर हो रहा है कि इस योजना में कितनी कमी है जिस कारण ठेकेदार को लाभ पहुंचा और घनसाली की जनता को एक दिन भी फिल्टर किया पानी नही मिला,
*मुख्य बिंदु*
1-भ्रष्टाचार की बेंट चढ़ी रानीगढ़ पेयजल योजना
2-नगर पंचायत घनसाली की 10 हजार जनता को नहीं मिल पा रहा है फिल्टर पानी
3-6 करोड़ की लागत से बनाई गई थी रानीगढ़ पेयजल योजना
4-जल संस्थान व जल निगम ने पहुंचाया ठेकेदार को लाभ
5-दोषियों के खिलाफ नहीं हो पाई अभी तक कोई ठोस कार्यवाही
टिहरी जिले के घनसाली विधानसभा के अंतर्गत नगर पंचायत घनसाली की 10 हजार जनता को नहीं मिल पा रहा है फिल्टर पानी। उत्तराखंड सरकार ने घनसाली की 10 हजार जनता की प्यास बुझाने के लिए 6 करोड़ की लागत से रानीगड़ पेयजल योजना का निर्माण करवाया था। इस योजना मे जल संस्थान और जल निगम के अधिकारियों ने इसकी कार्यप्रणाली, फिल्टर टैंक व पाइप लाइन के निर्माण पर एक दूसरे के खिलाफ सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस कारण यह रानीगढ़ पेयजल योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई।
सूचना अधिकार से निकली सूचना में जल निगम ने जल संस्थान को आधी अधूरी योजना को जल संस्थान को हैंड ओवर कर दिया।
अब सवाल उठता है कि जल संस्थान के अधिकारियों ने भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी रानीगढ़ पेयजल योजना को आधी अधूरी निर्माण किए हुए फिल्टर टैंक, पाइपलाइन आदि को क्यों अपने हैंडोवर ले लिया। जब यह योजना मानकों के अनुसार बनी ही नहीं थी तो फिर क्या मजबूरी थी जो जल संस्थान यह योजना अपने हैंडोवर लेनी पड़ी और अब खुद ही जल संस्थान के अधिकारी व जल निगम के अधिकारी आपस में एक दूसरे के खिलाफ सवाल खड़े कर रहे हैं और बता रहे हैं कि जल संस्थान के द्वारा ही अब यह योजना देखी जा रही है।
योजना में गड़बड़ी
सूचना अधिकार के तहत जो जानकारी ली गई है, उसमें स्पष्ट नजर आ रहा है कि जल संस्थान और जल निगम के अधिकारियों ने आपस में मिलकर ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए इस योजना को आधी-अधूरी हैंड ओवर कर लिया। जबकि जहां पेयजल योजना का जल स्रोत है वहां से और फिल्टर टैंक तक पाइप लाइन का एलाइनमेंट पूरी तरह से मानकों के विपरीत है और ऐसी जगह पर फिल्टर टैंक बनाया गया है जहां पर किसी भी तरह का कोई स्रोत नहीं है।
दूसरा फिल्टर टैंक पर स्थानीय डस्ट का उपयोग किया गया है, जबकि फिल्टर टैंक के लिए बाहर से डस्ट मंगाई जाती है।
तीसरा पाइप लाइन का एलाइनमेंट स्रोत से फिल्टर टैंक तक सीधा नहीं बनाया गया है।
चौथा फिल्टर टैंक की छत पूरी तरह खुली हुई है उसमें जाली नहीं लगाई गई है, जिससे कोई भी असामाजिक तत्व पानी दूषित कर सकता है।
स्थानीय लोगों ने जल निगम और जल संस्थान के अधिकारियों पर खुलेआम आरोप लगाया है कि 6 करोड की रानीगढ़ पेयजल योजना को भ्रष्टाचार के हवाले कर दी है क्योंकि जल संस्थान और जल निगम के अधिकारियों ने ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए इस तरह का भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है जो कागजों के आधार पर स्पष्ट नजर आ रहा है।
जिलाधिकारी ने मामले का संज्ञान लेते हुए सीडीओ अभिषेक रोहिल्ला सहित पांच लोगों की कमेटी बनाई है और जांच के आदेश दे दिए हैं और कहा कि जिसने भी इस योजना पर भ्रष्टाचार किया है उनके खिलाफ कड़ी के कार्यवाही करते हुए वसूली की करवाई जाएगी,