टिहरी में धूमधाम से मनाई गई आजादी की 75 वी वर्षगांठ, विधायक किशोर उपाध्याय ने कह आजादी के दौरान 14.हजार लोगो को टिहरी राज्य ने दी थी शरण

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आजादी के 75 वी वर्षगांठ पर टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय ने कही बड़ी बात आजादी में टिहरी के दौरान 14000 लोगो की टिहरी राज्य ने दी थी शरण,उस समय उत्तरकाशी टिहरी राज्य में आता था

नई टिहरी के प्रताप इंटर कॉलेज के मैदान में भी स्वतंत्रता दिवस बड़े धूमधाम से मनाया गया जिला प्रशासन के सभी अधिकारियों और टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय कार्यक्रम में पहुंचकर ध्वजारोहण किया और किशोर उपाध्याय ने कहा कि आज हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री जी ने जो भावनाएं व्यक्त की हैं हम उसकी रक्षा कर सकें कहा कि इस अमृत महोत्सव में सबको बधाई देता हूं और हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई जिंदा रहेंगे जब हमारा देश और यह तिरंगा शान से ऊंचा रहेगा हम हिंदू हो सकते हैं हम मुस्लिम हो सकते हैं हम ईसाई हो सकते हैं पर हम तभी सुरक्षित हो सकते हैं जब यह तिरंगा महफूज है और यह देश महफूज रहेगा, और इस देश को सुरक्षित रखना हमारा कर्तव्य है

भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री जय जवान जय किसान जय अनुसंधान का नारा दिया है उसमें सबसे बड़ी भूमिका टिहरी और उत्तरकाशी की है और जब गंगा है तभी यह सब चीज आगे बढ़ सकती हैं और भारत की आजादी में जो हमारा टिहरी राज्य है उसकी आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका रही है गंगा के किनारे के तक पर जो परचम आगे बढ़ा और आप देखेंगे कि 1857 की आजादी में जब भारत आजाद जब स्वतंत्रता का पहला आंदोलन शुरू हुआ तो उस समय के जितने लोग थे उनको टिहरी राज्य ने शरण देने का काम किया सारे स्वतंत्रता सेनानियों को टिहरी उतरकाशी में शरण दी ओर उनको महफूज व सुरक्षित रखा मेरे विचार से हमने उसका आंकलन आज तक नहीं किया इस अवसर पर में चाहता हूं मेरी भावना से 14.000 लोग जिन्होंने अपना वर्तमान हमारे भविष्य के लिए कुर्बान वह बलिदान किया उनकी भावनाओं की रक्षा हम कर सकें ओर प्रधानमंत्री जी ने जो भावनाएं व्यक्त की है उसकी रक्षा हम कर सके तभी हमारा देश सुरक्षित हो सकता है ओर इस अवसर पर में सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हु,

वही प्रताप नगर के कांग्रेस विधायक विक्रम सिंह नेगी ने कहा कि आजादी के 75 वी वर्षगांठ के अवसर पर देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों और जिन जिन लोगों ने इस देश की रक्षा और सुरक्षा में अपना योगदान सहयोग दिया उन सब को नमन और प्रणाम करने का समय है उनकी यादों को हम कैसे चिरंजीव कर सकें उस पर काम करने की आवश्यकता है

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