लघु सिंचाई विभाग की उदासीनता से धान और गेंहू की फसलों के लिए मशहूर गजा तहसील के नैचोली गांव के लोगों पर भारी पड़ रही है। सिंचाई के अभाव में सैकडों हेक्टेयर भूमि बंजर पड़ी हुई है। ग्रामीण विभाग से सिंचाई नहर की मरम्मत और साफ-सफाई की मांग कर रहे हैं। ताकि वह आजीविका संवर्द्धन के लिए खेती बाड़ी कर सके। किसानों का कहना है कि एक ओर सरकार किसानों की आय दोगुना करने की बात कर रही है, वहीं जमीन की सिंचाई के लिए कोई व्यवस्था न करना दुर्भाग्यपूर्ण है।
सामजिक कार्यकता व प्रगतिशील जन विकास संगठन के अध्यक्ष दिनेश उनियाल ने बताया कि नैचोली गांव प्राकृतिक रूप से समृद्ध है। पूर्व में गांव के लोग सिंचित खेती पर धान, गेंहू के अलावा नकदी फसलों आलू, प्याज, अदरक, अरबी, लहसून आदि का प्रचूर मात्रा में उत्पादन करते थे। लेकिन बीते चार सालों से गांव के खेतों के लिए बनी सिंचाई गूल जगह-जगह क्षतिग्रस्त और झाड़ियों से पटी पड़ी है। जिस कारण ग्रामीणों ने खेती करना छोड़ दिया है। कहा कि कई बार लघु सिंचाई विभाग को गूल मरम्मत के लिए लिखित और मौखिक रूप से अवगत कराया है, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। यहां तक कि डीएम को भी मामले से अवगत कराया है। बताया कि 1.5 किमी लंबी गूल 4 साल पहले क्षतिग्रस्त हो गई थी। उन्होंने बताया कि सिंचाई के लिए खेतों के पास दो बड़े हौज भी बनाए गए थे। यह भी बगैर पानी के सूखे पड़े हैं। जिस कारण अब ग्रामीणों ने खेती करना छोड़ दिया। उन्होंने मांग की कि वैकल्पिक व्यवस्था के लिए शासन-प्रशासन लोहे अथवा प्लास्टिक के पाइपों से सिंचाई की व्यवस्था करे। कहा कि मई-जून में धान की रोपाई से पहले यदि नहर की मरम्मत की जाए तो ग्रामीणों से खेत फिर से आबाद हो सकेंगे।
इस मामले लघु सिंचाई विभाग के ईई बृजेश कुमार गुप्ता का कहना है कि गूलों की रख-रखाव की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत की होती है। गूल मरम्मत के लिए बहुत कम पैसा विभाग को मिलता है। बड़ी क्षतिग्रस्त नहरों को दैवी आपदा से मरम्मत कराया जाता है। नैचोली गांव की गूल पर झाड़ियां उगी है, जिसे ग्रामीणों को ठीक करना चाहिए।