फर्जी बसियत बनाने पर टिहरी न्यायलय ने तीन आरोपी को दी 6-6 साल की सजा

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टिहरी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट विनोद कुमार बर्मन की अदालत ने सच्चा वैदिक संस्थान ट्रस्ट के संरक्षक स्व. हंसराज की व्यक्तिगत हैसियत को फर्जी और कूटरचना से वसीयत करने के आरोपी रविंद्र ब्रह्मचारी और उसके दो सहयोगियों को 6-6 साल की कैद और अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड जमा न करने पर आरोपियों को तीन-तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

सहायक अभियोजन अधिकारी अनुराग वरूण ने बताया कि सच्चा वैदिक संस्थान ट्रस्ट, सच्चा धाम तपोवन मुनिकीरेती के अध्यक्ष वर्तमान ट्रस्टी सुनील कुमार मित्तल ने जनवरी 2012 में थाना मुनिकीरेती में तहरीर देकर बताया कि उक्त ट्रस्ट की सभी कानूनी कार्यवाही निष्पादित करते हैं। ट्रस्ट की सारी संपत्ति संस्थान के नाम पर क्रय की गई हैं। जिस पर किसी का व्यक्तिगत अधिकार नहीं है। ट्रस्ट के संरक्षक स्व. हंसराज थे। उनकी भी यह व्यक्तिगत हैसियत नहीं थी। तहरीर में बताया कि रविंद्र ब्रह्मचारी ने अपने सहयोगियों अजय और गजेंद्र सिंह के साथ षड्यंत्र कर 3 अगस्त 2010 को स्व. हंसराज के फर्जी हस्ताक्षर और कूटरचना कर वसीयत बनाई गई। यह भी बताया कि रविंद्र ब्रह्मचारी ने टेंपरिंग कर हैसियत में अपना नाम संरक्षक रविंद्र ब्रह्माचारी जुड़ा दिया। इस कार्य में तत्कालीन नायब तहसीलदार ऋषिकेश ने भी सहयोग किया। उन्होंने बताया कि अभियुक्त शातिर किस्त का व्यक्ति है, जिसके खिलाफ थाना मुनिकीरेती में कई वाद चल रहे हैं। स्व. हंसराज भी रविंद्र ब्रह्मचारी को पसंद नहीं करते थे। यही वजह है कि राशन कार्ड में भी उसका नाम नहीं दर्ज था।

थाना पुलिस ने जांच-पड़ताल पर तहसील अभिलेखों के आधार पर 20 अप्रैल 2013 को रविंद्र ब्रह्मचारी, गजेंद्र सिंह, अजय स्वामी, अवातर सिंह डुबलियाल और हरीश चंद्र पांडेय के विरूद्ध आरोप पत्र न्यायालय में पेश किया। जांच में स्पष्ट हुआ कि अभियुक्त ने फर्जी हस्ताक्षर, टेंपरिंग कर आश्रम की जमीन हड़पने के लिए यह कार्य किया। शनिवार को मामले में सीजेएम कोर्ट में जिरह हुई।

अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने आरोपी रविंद्र ब्रह्मचारी, अजय स्वामी और गजेंद्र सिंह को दोषी पाते हुए 6-6 साल कठोर कारावास और 37-37 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।

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