जिसमें एल पी जोशी ने कहा कि टिहरी बांध परियोजना के अंतर्गत तीन प्रोजेक्ट आते हैं
प्रथम चरण एचपी है जो हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट जो 2000 मेगा वाट का है जिसको हमने 2006 में कमीशन किया था जिससे हम 1000 मेगावाट की बिजली उत्तरी ग्रिड को दे रहे हैं जिससे भारत के 9 राज्यों को उनके शेयर के अनुसार बिजली दे रहे हैं
दूसरा चरण कोटेश्वर परियोजना है जो 400 मेगा वाट की है जिससे 400 मेगावाट की बिजली का उत्पादन हो रहा है और उसे भी हम नॉर्दन ग्रिड को बिजली दे रहे हैं
तीसरा चरण हैं जो पंप स्टोरेज प्लांट अभी निर्माणाधीन है और हमारी पूरी कोशिश है कि उसे हम निर्धारित समय पर पूरा कमिश्निंग करके और उनकी जो फायदे हैं बिजली प्रदान करेंगे जो सबसे महत्वपूर्ण है आजकल जो बिजली का सिनेरियो है भारत के अंदर उसमें स्टोरेज की बहुत इंपोर्टेंट बढ़ गई है जिनमे भारत सरकार और राज्य सरकार काम कर रही है
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि हम 2030 तक 500जीगा वाट रिनुअल एनर्जी को नॉर्दन के पूरे ग्रिड के अंदर लाना है उस लक्ष्य को पाने के लिए हमको हाइड्रो प्रोजेक्ट को इंप्लीमेंट करना है
पावर रेनवाल एनर्जी पावर है वह सबसे बड़ा मुख्य स्रोत है और हाइड्रो भी इसका मुख्य बड़ा स्रोत है और इसमें हम 1000 मेगा वाट स्थापित करेंगे जो हमारे पास है ग्रिड के अंदर 1000 मेगावाट की क्षमता आ जाएगी जो भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगी इससे जो हमारी रिनुअल एनर्जी पावर जो समस्याएं पैदा हो रही है उसमें काफी हद तक समस्याएं दूर होंगी
भारत और चीन के बीच अरुणाचल राज्य में जो प्रोजेक्ट को लेकर कहा कि कि यहां अरुणाचल प्रदेश भारत और चाइना के बीच का एक मुख्य भाग है जहां पर हाइड्रो की अपार संभावनाएं हैं और भारत सरकार ने टिहरी बांध परियोजना के अच्छे कार्यों को देखते हुए अरुणाचल में दो प्रोजेक्ट दिए हैं जिसमे एक प्रोजेक्ट 1200 मेगावाट का है और दूसरा 1750 मेगावाट का है यह परियोजना पहले किसी प्राइवेट डेवलपर के पास थी जिन्हें अब टीएसडीसी को दिया गया है और अब इसमें अरुणाचल सरकार से जल्दी ही अनुमति मिलने के बाद तत्काल कार्य शुरू कर दिया जाएगा
अधिशासी निदेशक ने कहा कि झील के आसपास गांव में जो दरार पड़ी हैं उसको लेकर उत्तराखंड सरकार द्वारा उन गांव का भू वैज्ञानिकों की टीम से सर्वे करवाया जा रहा है जो 5 दिनों से सर्वे कर रही है जिसमे आई आई टी रुड़की, टीएचडीसी, सर्वे ऑफ इंडिया,जेएसआई,के विशेषज्ञ सर्वे कर रही है और जैसे इन वैज्ञानिकों की रिपोर्ट प्राप्त होगी और उत्तराखंड सरकार और भारत सरकार के निर्देश होंगे तथा पुनर्वास नीति के आधार पर उन गांव का विस्थापन की कार्रवाई की जाएगी
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